Tuesday, May 25, 2021

#सिर_उठे_रहना_जरूरी_है

 #बोलना_जरूरी_हैं

#सिर_उठे_रहना_जरूरी_हैं

 

बेबस गूंगे पूछते हैं मुझसे, तुम बोल कैसे लेते हो?|

रोजी-रोटी छिन जाएगी, डर नहीं?,

ये साहस कहां से लाते हो !?


मैं कहता हूं, ठीक वैसे, जैसे , तुम सुनके सहन कर लेते हो,

दर्द सीने में दबाए हुए, जुबां को सील लेते हो ||


तुम बतलाओ , मातम में भी यशोगान कैसे कर लेते हो ??

चोट तुम्हें भी लगी होगी, दर्द में जयघोष कैसे कर लेते हो??


जो अखरता तुमको भी है, चुपचाप सुन कैसे लेते हो??

आजाद मुल्क में , गूंगे बने, गुलामी कैसे कर लेते हो||


न जाने कितने सिर कुर्बान हुए , तुम्हारा सिर उठाने को |

फिर भी तुम किस लोभ में, किस डर में, सिर झुका लेते हो ??!


Wednesday, May 12, 2021

कहानी त्रासदी की

 कहानी त्रासदी की 

 एक बहुत विशाल वटवृक्ष था , बहुत बड़ी बड़ी शाखाएं , फिर मजबूत डालियां , करोड़ों अनगिनत हरे पत्तों से युक्त ये वटवृक्ष आस पास के सारे पेड़ों से अलग था, कमोबेश आस पास का हर पेड़ इससे ईर्ष्या करता था, इसकी हरी पत्तियों को इसके मजबूत अथाह  विश्वास था, क्यूंकि तना मजबूत था और सारे खनिज लवण और पानी की पूर्ति अबाध गति से होती थी , सबका साथ था, सबका विश्वास था, फ़िर एक बार तनें में दीमक लग गई, सब शखाओं , पत्तियों ने तने से शिकायत की , तना अनसुना करता रहा क्योंकि वो दंभ में था मेरे जितना चौड़ा और बड़ा कोई नहीं इसलिए मुझे दीमक नहीं लग सकती, हक़ीक़त में ऐसा नहीं था दीमक बढ़ती जा रही थी , पहली गाज़ पत्तियों पर गिरी, आवश्यक तत्वों की कमी से सुख कर गिरने लगी, तना फिर भी बेखबर रहा , कोई शिकायत करता तो कहता , दूसरे पेड़ों को देखो उनका भी यहीं हाल है , दीमक बढ़ती जा रही थी , पत्तियों के साथ अब एक दूका छोटी डालियां भी गिर रही थी , तना फिर भी बेखबर रहा , वो अपने बाहरी आवरण पर दंभ भरता रहा, अंदर के खोखलेपन को नजरंदाज करता , अब सब शाखाओं , पत्तियों में अफरा तफरी थी , तब जाकर उसे अहसास हुआ कि पूरे पेड़ की खूबसूरती गायब हो रहीं , हर कोई आने जाने वाला पूछता क्या बात है , ये सब क्या हो रहा हैं , तना बोलता , शाखाओं की गलती हैं , पत्तियां सही तरीके से काम नहीं कर रही ..

..तना था "सिस्टम"..पत्तियां थी "जनता" और जल और खनिज लवण थे ऑक्सिजन, बेड, आईसीयू..

दीमक ..फैलता रहा , सिस्टम झूठे दंभ भरता रहा ..

न जाने कितनी पत्तियों को असमय जाना पड़ा,

..पिछले एक महीने से पूरे देश में अफरा - तफरी का माहौल है, ट्विटर, वॉट्सएप, फेसबुक, सोशल मीडिया  ऑक्सिजन, प्लाज्मा, बेड, आइसीयू, आवश्यक दवाओं की जरूरत से अटा पड़ा हैं..सब बदहवास है, दुःखी हैं, कई परिवार पूर्णतया ख़तम हो गए, कई जिंदगी भर का दर्द ले गए, ये सब हमारे अपने लोग हैं, एक देश के तौर पर हम हार गए, ये 1962 के युद्ध की हार से बुरा हैं,ये हर उस हार से बुरा हैं जो हमने अपने जीवन में देखी थी.. बहुत नौजवान लोग इसका शिकार हो गए , जो आने वाले 40-50 साल देश के लिए काम करते , देश की सम्पदा थे और ऐसे लोग लाखों में हैं..सोचिए कितना बड़ा नुकसान देश को हुआ है...जिम्मेदारी किसकी थी , गलती कहां हुई, ये बहस का विषय है..हमारी अंगुलियां स्क्रीन पर एक अच्छी खबर के लिए स्क्रॉल करती रहती हैं , बहुत बड़ी संख्या में लोग उबरे भी है ..

लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि हमें फिर खड़ा होना होगा, एक देश के तौर पर , एक समाज के तौर पर, दीमक को कीटनाशक देनी होगी, सिस्टम को मजबूत करना होगा ..

.. गलती किसकी थी ये बाद में तय कर लेंगे

 किसी भी गलती को सुधारने का पहला क़दम हैं , गलती स्वीकार करना..सिस्टम कतरा रहा हैं , हमें अहसास कराना होगा ...

हमें आगे बढ़ना होगा लेकिन उन रोते बिलखते, टूट चुके परिवारों को पीछे छोड़कर नहीं , साथ लेकर ..

सबक ये हैं 

1. जिनकी इस विभीषिका में जान गई ,उनके सही सही आंकड़े जुटाएं जाएं, उनको सूचीबद्ध करके , जिन परिवारों ने अहम सदस्य ( जिस पर परिवार निर्भर था) को खोया उनका भरण पोषण , कम से कम 2-3 साल सरकार करें, बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था करें 


2. अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं में रही खामियों को दूर करें

3. देश के बहुत से लोग मानसिक तनाव और अवसाद में हैं उनकी काउंसलिंग करें

4. वैक्सिनेशन को तीव्र गति से करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं

5 जिन परिवारों ने अपने सदस्यों को खोया है उनकी आवश्यकतानुसार मदद करें, ख़ासतौर जिन्होंने अस्पतालों में अपनी जीवन पूंजी लगा दी और अपनों को बचा भी नहीं पाएं

6. शैक्षिक क्षेत्र में बच्चों को हुए नुकसान के लिए कार्ययोजना बने

7. जिन्होंने अपनी नौकरियां खोयी है उनकी भी सुनवाई हो 


एक कर्तव्यनिष्ठ नागरिक के तौर पर हमारा भी दायित्व है कि हम मानवीय तौर पर पीड़ित लोगों के साथ खड़े हो , उनकी छोटी -छोटी मदद  देश के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा..

आपदा में किसीकी मजबूरियों का फायदा ना उठाएं


उम्मीद हैं हम फिर खड़े होंगे , आगे बढ़ेंगे, उन लोगों के साथ, उन परिवारों के साथ जिन्होंने इस आपदा को झेला है ..


यूनाँ मिस्र रोमा, सब मिट गए जहां से,

बाकी मगर है अब तक, नामो निशां हमारा

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी

सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा

- अल्लामा इक़बाल

#post_covid_India

Thursday, April 29, 2021

लोकतंत्र:- सही मायने में

 वाह री लोकतन्त्र !! कहने को हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं , वो अब्राहम लिंकन वाला "जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन", पर अफ़सोस इन दिनों

This is not the democracy I have read in my school text books ,feeling cheated why only neta, journos, businessmen, courts, celebrities getting help only .

दुख होता हैं पर बोल नहीं सकते , contempt of court 😒 is this the democracy for which bhagat singh laid down his life at 24 ??😢 

लोगों ऑक्सीजन नहीं मिल रही, 🛏️ नहीं हैं, आईसीयू नहीं मिल रहे, और दवाओं तक की कमी हैं , मान लिया देश में विपदा है ..

सबसे दुखद ये है कि जजों के लिए अशोका होटल ( पांच सितारा) में 100 कमरे बुक होंगे, 

उधर मज़े से आईपीएल चल रहा हैं ,

नेता अपनी रैलियों में व्यस्त थे ,

पत्रकार अपनी दलाली खा रहे हैं ,

साहेब और उसका मोटा झोटा की आंख नहीं खुलती,🤐🤐

और मज़े की बात ये है  प्राइवेट चोपर से बड़े लोग देश छोड़कर जा रहे हैं, पढ़िए https://m.economictimes.com/magazines/panache/airfares-soar-private-jets-in-demand-rich-indians-flee-the-country-fly-to-dubai-to-escape-covid-surge/articleshow/82228187.cms

, अगर यही लोकतंत्र है तो मतलब  लोकतंत्र कोर्ट,नेता, अभिनेता, क्रिकेटर, मोटा व्यापारी और पत्रकार के लिए हैं बस ..

ट्विटर पर देखिए कैसे बड़े लोगों ने अपना कुनबा बना लिया है , बस पत्रकार, नेता, सेलेब्रिटी, उद्योगपति तुरंत मदद हो रही हैं ,

गरीब आदमी ट्विटर पर थोड़े हैं , और है भी तो सुनता कौन हैं ..

Democracy is almost dead , 

It's plutocracy 

ये लोकतंत्र हैं तो दुनिया का सबसे बड़ा झूठ हैं 😥

#Not_my_democracy


नोट : आज कोर्ट ने नाटकीय ढंग से स्वत: संज्ञान लेते हुए , दिल्ली सरकार से पूछा कि " आपको किसने कहा होटल बुक करने के लिए ?? 

और आदेश दिया कि उक्त आदेश तुरंत वापस लिया जाए, आदेश वापस ले लिया गया हैं 

#that's_my_democracy 🙏🏼

Thursday, December 10, 2020

बीजेपी_कांग्रेस_गठबंधन

 #राजस्थान_पंचायत_चुनाव 

#सब_गोलमाल_हैं_भाई_सब_गोलमाल_हैं

 राजस्थान में 21 जिलों में हुए पंचायतीराज ( जिला परिषद और पंचायत समिति) चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण बन गए क्यूंकि देश की मीडिया और आम जनता का ध्यान पूरी तरह किसान आंदोलन पर केन्द्रित था और बीजेपी ने कुछ अधिक सीटें जीत लेने की बात को किसान आंदोलन पर इसको रेफेरेंडम (जनमत संग्रह) करार दे दिया , और अपनी जीत को मीडिया के सामने  बढ़ा चढ़ाकर दिखाया,,,,,,,

लेकिन अब आता है रोचक पहलू 

चुनाव के दौरान राष्ट्रीय स्तर की बात करने वाले , अपनी पार्टी का विजन रखने वाले और पार्टी का झंडा पकड़ कर कार्यकर्ताओ को भावुक करने वाले  सारे जन प्रतिनिधि जैसे ही प्रधानी और जिला प्रमुख की बारी आई ...

अपनी अपनी सोचने लगे ...

बहुत सी पंचायत समितियों और जिला परिषदों में 

बीजेपी के कैंडिडेट कांग्रेस में भाग गए और कांग्रेस के बीजेपी में, निर्दलीय का तो कहना ही क्या ....

हद तो तब हो गई जब बीजेपी से जीते कैंडिडेट ने कांग्रेस से पर्चा भरा और कांग्रेस से जीते कैंडिडेट ने बीजेपी से ... एक जिले (नागौर) में कांग्रेस के प्रत्याशी को 7 बीजेपी वालों ने वोट दिए तो बीजेपी के प्रत्याशी को 6 कांग्रेस वालों ने

...

अब आती हैं सबसे रोचक बात  🛑एक जिला परिषद (डूंगरपुर- जहां आदिवासी पार्टी बीटीपी मजबूत हैं) और कम से कम 10 पंचायत समितियों में 

कांग्रेस और बीजेपी ने एकजुट होकर 🧑‍🤝‍🧑

तीसरी पार्टी (बीटीपी और RLP) और निर्दलीयों को पटखनी दी..🛑

अगर बीजेपी , कांग्रेस का गठबंधन है तो बीजेपी किस जीत की बात कर रही थी 🤔🤔🤔

जब कांग्रेस ,बीजेपी का गठबंधन हो सकता हैं तो पार्टी, सिंबल, कार्यकर्ता का क्या मतलब रह गया हैं 🤔🤔🤔

राजस्थान में ख़ास तौर पर ये सोचने वाली बात है ..

पिछले कुछ सालों दलबदल कानून की जो धज्जियां उड़ी हैं और राजनीति जिस स्तर पर पहुंच गई उसको देखकर लगता है , चुनाव सिर्फ़ एक दोस्ताना मैच हो गए हैं ..

सबसे बिकाऊ आदमी कोई हैं तो राजनीतिज्ञ..

चुनाव, नेता , पार्टियां सब जनता को मूर्ख बनाने के लिए बनाया गया सिस्टम हैं ताकि कुछ बोले तो लोकतंत्र का झुनझुना पकड़ा दो 😏😏

#छद्म_लोकतंत्र_झूठे_नेता

#बेबस_जनता

Thursday, September 24, 2020

भारत बंद, बिचौलिया मस्त, किसान पस्त

 

#भारत_बंद
#किसानआंदोलन
अरे बिचौलियों ! आखिर तुम लोगों ने भोले भाले किसानों को भड़का ही दिया , तुम नहीं चाहते ना किसानों की आय दुगुनी हो ??
किसान भी कितने बेवकूफ हैं 😬 , ऐसे किसानों की कोई जरूरत नहीं है , चलो पाकिस्तान चले जाओ😡😡 , 60 करोड़ की जनसंख्या कम हो जाएगी , ब्लैकमेलर कहीं के , आतंकवादी कहीं के , तुम यहां रोड़ पर उतर गए , उधर तुम्हारे फाैजी बेटे जो पहले ही डर से बॉर्डर पर गए हुए हैं , की कब लड़ाई हो और कब बलिदान देकर , हम टैक्सपेयर के पैसे ले||
तुम्हारा काम क्या है 24 घंटे ,365 दिन खेत में काम करना , कामचोरों कोई तुम्हारे लिए 18-18 घंटे काम कर रहा हैं , तुम 3.2% सकारात्मक जीडीपी वृद्धि के नाम पर उछल रहे हो 😠😠 , 24%( -) करो तब जाने ||
आ गए सड़क पर , पटरियों पर , रुको अभी , देश- द्रोह का मुकदमा बनाते हैं ||
वो दीपिका को बुलाया था आज एनसीबी वालों ने , नार्को टेस्ट करते ही पता चल जाता , सुशांत भैया का कातिल कौन हैं , किसने उनको ड्रग्स दिया , पर तुम लोग उस दिन भी भारत बंद कर रहे हो , लानत है सुशांत भैया ने तुम्हारे लिए, देश के लिए आत्महत्या करके बलिदान दिया , उसका कुछ नहीं 😤

चले जाओ अभी भी नहीं लाठी चार्ज करके पाकिस्तान निकाल देंगे||
और कौन चिल्ला रहा हैं , एमएसपी , एमएसपी , अरे मूर्खों 2 दिन पहले ही बढ़ा तो दिए 50,150,225 रुपया
और हां जो लोग बोल रहे उनको मक्का 800 (एमएसपी 1850), सोयाबीन 1500 (एमएसपी3880), मूंगफली 4000 (एमएसपी 5225) इतनी सस्ती बेच रहे हो , तुम लोग मक्के का ठेला लगाओ मने कल एक भूठा 15 रुपए का लिया हैं , सोयाबीन वाले सोया स्टिक बनाकर बेचो, मूंगफली वाले मूंगफली का ठेला  लगाओ और हां अब तो पूरे देश में कहीं भी लगाओ , खुली छूट हैं ||
पर तुम कामचोर लोगों बस देश को नुकसान करना हैं ||
रिलायंस रिटेल की नेटवर्थ 4.21 लाख करोड़ हो गई , समझे कुछ मेहनत करनी पड़ती हैं , पैसे पेड़ के नहीं लगते
, ख़ैर तुम्हें क्या समझाए तुम हो ही मूर्ख , तभी तो खेती कर रहे हों , हमें देखो यहां दिल्ली में आराम से एसी में बैठे तुम्हीं पर कॉलम लिख रहे हैं
लानत है !!! (हम पर नहीं , तुम पर)
#एसी_वाला_ज्ञानी
#व्यंग्य
🙏🏼🙏🏼

Friday, September 18, 2020

तीनों कृषि विधेयक कमाल , किसान मालामाल, मुमकिन है

 एक  महा *ज्ञानी, दूरदृष्टि, तीर नजर वाला मनुष्य 🤓 बोला सरकार किसानों के लिए ऐसा नियम लेकर आ रही है, कि आय खुद-ब-खुद दोगुनी हो जाएगी ||

मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगा और सारे बिचौलिए खत्म हो जाएंगे, सब किसानों ने सिर पीट लिया🥱🤕

खास यह बात सरकार 6 साल पहले सोच लेती, हमारी आय  दुगनी हो जाती,😕 जैसे बिहार के किसानों की हुई है , वह कितने आगे हैं उन्होंने सालों पहले की मंडी( APMC) खत्म कर दी थी,और तो और अब पूरे देश में घूम घूम कर हर राज्य में धंधा कर रहे हैं,🤫🤫 .....

 फिर वह बोला अब किसान किसी भी राज्य में जाकर अपना उत्पाद कहीं भी भेज सकते हैं,🙄 सारे किसान तालियां बजाने लगे, 🤗🤗🤗लेकिन यह क्या, तालियां बजाने के बाद पता लगा कि उनकी जेब में तो दूसरे राज्य में जाने के लिए पैसे ही नहीं🧐 😬😬😬

व्यक्ति फिर बोला अरे पैसे तो उधार में ले लो यार😉😉, यह तीसरा विधयेक है तो सही , लाला (सेठ) के यहां अपनी जमीन गिरवी रख दो, contract farming नहीं समझ पा रहे🤔🤔 , खूब  पैसा मिलेगा, इतना पैसा कि तुम और तुम्हारी 3 पीढ़ियां भी हिसाब नहीं लगा पायेगी, कि कैसे लाला को धन्यवाद करे .🙏🏼🙏🏼 बस बहुत दे दिया.. || जैसे गुजरात में पेप्सी वाला है ना , उसने मालामाल कर दिया उन लोगों को....😜

और फिर जय जय का उद्घोष हुआ,  मुमकिन है भाई मुमकिन है 

#व्यंग्य

#किसान_अधिकार_समर्थन

Monday, August 31, 2020

कृषि ने बचाया देश को, नींव की ईंट जिंदा हैं

 #पुनः_स्मरण 

#किसान_अधिकार_समर्थन

जीडीपी में नकारात्मक वृद्धि या यूं कहे -23.9% ह्रास में निसंदेह कोरोना और लॉकडाउन की भूमिका रही हैं |

और ये वो दौर था जब देश में लगभग सम्पूर्ण लॉकडॉउन था सब उद्योग धंधे बंद थे , लेकिन एक व्यक्ति नहीं रुका,  नहीं थका था | किसान और परिणाम देखिए , कृषि विकास दर 3.4% रही (सकारात्मक), लेकिन नींव की ईंट को कौन देखता है  साहब , लोग तो बस इमारत के कंगुरों की तारीफ़ करते हैं ||

लेकिन हकीकत यही है कंगुरे अस्थाई हैं, दिखावटी है, कभी भी धराशायी हो सकते हैं | हुए भी है  35.35 लाख करोड़ से सीधे  26.90 लाख करोड़ ....

कुछ स्वघोषित अर्थशास्त्री लोगों  ने बोला की जान ज्यादा कीमती थी , जान हैं तो जहान है , बिल्कुल कीमती हैं पर क्या उन किसानों की जान कि कीमत नहीं जो आर्थिक कर्जे में डूब कर आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं  

तीन साल बाद ( नवंबर 2019 में) ,2016 के किसानों की आत्महत्या का रिकॉर्ड आया और 11,379 आत्महत्याएं दर्ज की गई ये सरकारी आंकड़े थे , सोचिए वास्तविक संख्या कितनी बड़ी होगी | और पिछले कुछ सालों में संख्या बढ़ी है कम नहीं हुई ...

सोचने का विषय यह है इन सब के बावजूद और ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी वो लोग देश के लिए जुटे रहते हैं और ये सब प्रत्यक्ष है इन जीडीपी के आंकड़ों में, ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है हम देश के किसानों ना केवल सम्मान करें बल्कि आर्थिक रूप से भी उनका सहयोग करें  , उनकी उपज को सीधा खरीद कर, उनके उत्पादों का प्रचार कर ||

क्यूंकि जिस दिन ये नींव ढह गई , फ़िर कंगुरो को जमीदोंज होने में वक्त नहीं लगेगा ||

#जिये_किसान_जिये_जवान 

#आत्मनिर्भर_हिंदुस्तान

#जागृत_हिंदुस्तान