#बोलना_जरूरी_हैं
#सिर_उठे_रहना_जरूरी_हैं
बेबस गूंगे पूछते हैं मुझसे, तुम बोल कैसे लेते हो?|
रोजी-रोटी छिन जाएगी, डर नहीं?,
ये साहस कहां से लाते हो !?
मैं कहता हूं, ठीक वैसे, जैसे , तुम सुनके सहन कर लेते हो,
दर्द सीने में दबाए हुए, जुबां को सील लेते हो ||
तुम बतलाओ , मातम में भी यशोगान कैसे कर लेते हो ??
चोट तुम्हें भी लगी होगी, दर्द में जयघोष कैसे कर लेते हो??
जो अखरता तुमको भी है, चुपचाप सुन कैसे लेते हो??
आजाद मुल्क में , गूंगे बने, गुलामी कैसे कर लेते हो||
न जाने कितने सिर कुर्बान हुए , तुम्हारा सिर उठाने को |
फिर भी तुम किस लोभ में, किस डर में, सिर झुका लेते हो ??!
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