"लैंड फॉर लाइफ" पुरस्कार 2021
प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी
श्री डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर
राजस्थान का गौरव...... पर्यावरण पुरोधा
" रुख़ साट सिर कटे तो सस्तों जानिए" ( एक वृक्ष के बदले सिर कटना भी सस्ता हैं ) हैं कि परम्परा को आगे बढ़ाते हुए
पृथ्वी के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन UNCCD द्वारा दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है लैंड फॉर लाइफ पुरस्कार...जो कि प्रत्येक दो वर्ष में एक बार किसी व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है।
दुनिया भर के टॉप 12 लोगों को इस पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट घोषित किया गया था जिसमें भारत से 2 शख्सियत शामिल थे....एक ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जो रैली फॉर रिवर व अन्य गतिविधियों के जरिए पृथ्वी के संरक्षण में संलग्न थे ... वहीं दूसरी ओर बीकानेर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी जो पर्यावरण वानिकी के लिए समर्पित व्यक्तित्व थे...!!
आज मध्य अमेरिकी देश कोस्टारिका में आयोजित कार्यक्रम में प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी को इस पुरस्कार के लिए चुना गया जो निश्चित रूप से हरेक भारतीय के लिए गौरव का विषय है और विशेष रूप से किसान परिवार से आते लोगों के लिए क्यों कि प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी एक किसान परिवार से आते जमीनी जुड़ाव लिए आसमानी ऊंचाईयों तक दस्तक देने वाली शख्सियत हैं ...!!
बीकानेर विश्वविद्यालय के श्री डूंगर महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी विगत 18 वर्षों से अनवरत रूप से बीकानेर के धोरों वाली मरूभूमि को हरित भूमि में तब्दील करने के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं 4000 छोटे बड़े पेड़ों से घिरा श्री डूंगर महाविद्यालय का परिसर वनस्पति विज्ञान के अध्ययन के लिए तो एक बोटेनिकल गार्डन बन ही चुका है वहीं इनकी चाह में छात्र-छात्राओं सहित हजारों पंछी शुकून की सांस ले रहे हैं... ज्ञातव्य रहे कि प्रोफेसर साहब को वर्ष 2012 में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से भी प्रकृति संरक्षण और संवर्धन के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है ..!!
पर्यावरण पाठशाला के रूप में आपकी प्रकृति को समर्पित चेतना ने हजारों लोगों को इस मिशन से जोड़ दिया है जिसका परिणाम यह रहा कि विगत 18 सालों में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से करीब 25 लाख पौधे बीकानेर जिले सहित सम्पूर्ण राजस्थान में लगाए जा चुके हैं जो निश्चित रूप से सराहनीय और अनुकरणीय उदाहरण हैं।।
स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल परम्परागत और आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हुए जल के किफायती उपयोग से पौधे को पेड़ में बदलने तक की सम्पूर्ण जिम्मेदारी लेने वाले आपके छात्रों से लेकर सामाजिक संगठनों व शैक्षणिक संस्थानों व संगठनों ने क्रांतिकारी परिवर्तन किया है जिसकी परिणति है कि आपके मार्गदर्शक आदरणीय प्रोफेसर साहब को वैश्विक पटल पर पहचान मिली है जो किसान परिवार से लेकर कॉलेज और विश्वविद्यालय तथा जिले से लेकर राज्य और देश का गौरव बढ़ाया है...!!
संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा भूमि संरक्षण और मिट्टी की सेहत की बहाली के लिए समर्पित इन कदमों को तो सम्मान दिया ही है ...प्रकृति और मानव के बीच प्रगाढ़ अंतर्संबंध के रूप में पर्यावरण संरक्षण हेतु नवाचारों को मान्यता दी गयी है और प्रेरणा दी है कि बदलती दुनिया में हमें प्रकृति को संवारना है ताकि आगामी पीढ़ियां शुकून की सांस ले सकें...!!
ज्ञातव्य रहे कि प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी को अगस्त माह में चीन में इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा साथ ही अगले साल होने वाले COP यानी कांफ्रेंस ऑन पार्टिज में शामिल होने व पर्यावरण संरक्षण पर संबोधित करने का अवसर मिलेगा जो कि दुनिया का सबसे बड़ा सम्मेलन होता है वैश्विक नेतृत्वकर्ता एकत्र होते हैं और वैश्विक पर्यावरण चिंतन होता है.!!
प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी अगले दो साल तक UNO के संगठन UNCCD के ब्रांड एम्बेसडर के रूप में वैश्विक स्तर पर अपने पर्यावरण संरक्षण व संवर्द्धन के साथ भूमि संरक्षक के रूप में प्रेरक व्यक्तित्व के रूप में नेतृत्व करेंगे...!!
आपके "हरित प्रणाम" को सम्मान मिला है हजारों हजार लोगों की दुआएं वैश्विक पटल पर चिन्हित हुई है..... प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी जी आपकी पर्यावरण पाठशाला का हरेक पर्यावरण संरक्षण व संवर्द्धन को समर्पित शिक्षार्थी अपने नेतृत्वकर्ता की तपस्या और त्याग से प्रेरित है और आपको यह विश्वास दिला सकते हैं कि आपके मरूभूमि को हरित भूमि में तब्दील करने का मिशन उत्कर्ष पर पहुंचेगा..!!
प्रोफेसर साहब के नक्शे कदम चलने वाले ज्ञात अज्ञात पर्यावरण संरक्षण व संवर्द्धन के नुमाइंदों को हरित प्रणाम..!!
"हरित प्रणाम" ..
..प्रोफेसर श्याम सुंदर ज्याणी सर 🤗
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