#राजस्थान_पंचायत_चुनाव
#सब_गोलमाल_हैं_भाई_सब_गोलमाल_हैं
राजस्थान में 21 जिलों में हुए पंचायतीराज ( जिला परिषद और पंचायत समिति) चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण बन गए क्यूंकि देश की मीडिया और आम जनता का ध्यान पूरी तरह किसान आंदोलन पर केन्द्रित था और बीजेपी ने कुछ अधिक सीटें जीत लेने की बात को किसान आंदोलन पर इसको रेफेरेंडम (जनमत संग्रह) करार दे दिया , और अपनी जीत को मीडिया के सामने बढ़ा चढ़ाकर दिखाया,,,,,,,
लेकिन अब आता है रोचक पहलू
चुनाव के दौरान राष्ट्रीय स्तर की बात करने वाले , अपनी पार्टी का विजन रखने वाले और पार्टी का झंडा पकड़ कर कार्यकर्ताओ को भावुक करने वाले सारे जन प्रतिनिधि जैसे ही प्रधानी और जिला प्रमुख की बारी आई ...
अपनी अपनी सोचने लगे ...
बहुत सी पंचायत समितियों और जिला परिषदों में
बीजेपी के कैंडिडेट कांग्रेस में भाग गए और कांग्रेस के बीजेपी में, निर्दलीय का तो कहना ही क्या ....
हद तो तब हो गई जब बीजेपी से जीते कैंडिडेट ने कांग्रेस से पर्चा भरा और कांग्रेस से जीते कैंडिडेट ने बीजेपी से ... एक जिले (नागौर) में कांग्रेस के प्रत्याशी को 7 बीजेपी वालों ने वोट दिए तो बीजेपी के प्रत्याशी को 6 कांग्रेस वालों ने
...
अब आती हैं सबसे रोचक बात 🛑एक जिला परिषद (डूंगरपुर- जहां आदिवासी पार्टी बीटीपी मजबूत हैं) और कम से कम 10 पंचायत समितियों में
कांग्रेस और बीजेपी ने एकजुट होकर 🧑🤝🧑
तीसरी पार्टी (बीटीपी और RLP) और निर्दलीयों को पटखनी दी..🛑
अगर बीजेपी , कांग्रेस का गठबंधन है तो बीजेपी किस जीत की बात कर रही थी 🤔🤔🤔
जब कांग्रेस ,बीजेपी का गठबंधन हो सकता हैं तो पार्टी, सिंबल, कार्यकर्ता का क्या मतलब रह गया हैं 🤔🤔🤔
राजस्थान में ख़ास तौर पर ये सोचने वाली बात है ..
पिछले कुछ सालों दलबदल कानून की जो धज्जियां उड़ी हैं और राजनीति जिस स्तर पर पहुंच गई उसको देखकर लगता है , चुनाव सिर्फ़ एक दोस्ताना मैच हो गए हैं ..
सबसे बिकाऊ आदमी कोई हैं तो राजनीतिज्ञ..
चुनाव, नेता , पार्टियां सब जनता को मूर्ख बनाने के लिए बनाया गया सिस्टम हैं ताकि कुछ बोले तो लोकतंत्र का झुनझुना पकड़ा दो 😏😏
#छद्म_लोकतंत्र_झूठे_नेता
#बेबस_जनता